डॉ. प्रांजल अग्रवाल ( असिस्टेंट एडिटर-आई सी एन ग्रुप )
लखनऊ। विश्व मधुमेह दिवस पर हमने लखनऊ के निर्वाण हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. दीप्तांशु अग्रवाल से ख़ास बातचीत की | डॉ. अग्रवाल से हमने जानना चाहा की यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान महुमेह हो यानी जेस्टेशनल डायबिटीज़ हो तो क्या करे? इस पर उन्होंने बताया की गर्भ के दौरान होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज़ कहा जाता है। यह डायबिटीज गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास में बाधा डालती है। दरअसल, जेस्टेशनल डायबिटीज़ गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। वैसे तो डायबिटीज हर वर्ग के लिए बहुत खतरनाक होती है लेकिन होने वाले बच्चे को ये खासा नुकसान पहुंचाती है।
उन्होंने बताया की आज के समय में डायबिटीज किसी को भी हो सकती है। लेकिन गर्भावस्था में डायबिटीज होने की आशंका अधिक रहती है।
उन्होंने बताया की आंकड़ों के मुताबिक, जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है उनमें से 2 में से 1 महिला को भविष्य में डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज गर्भवती महिला और उसके होने वाले बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती है।
आमतौर पर गर्भधारण के कुछ समय बाद ही यानी शुरूआती दिनों में ही जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा अधिक रहता है लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि आपको गर्भावस्था के अंतिम दिनों में इसका खतरा ना हो। डॉ अग्रवाल के मुताबिक़ गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन अधिक होने से भी जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने बताया की गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने का एक मुख्य कारण है कि गर्भधारण के बाद कई हार्मोंस जैसे प्रोजेस्टेरोन, प्लासेंटल लेक्टोजन इत्यादि निकलते हैं जो कि शरीर द्वारा निर्मित इंसुलिन के विपरीत काम करना शुरू कर देते हैं जिससे डायबिटीज के होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा नहीं कि गर्भावस्था के दौरान ही डायबिटीज हो, कई बार गर्भधारण से पहले ही आपको डायबिटीज हो जाती है लेकिन नियमित जांच ना कराने से आपको पता नहीं चल पाता, जिससे गर्भधारण के बाद ये और अधिक बढ़ जाती है।
डॉ दीप्तांशु ने बताया की गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने पर भी गर्भावस्था के बाद महिला को स्तनपान कराने से नहीं डरना चाहिए। दरअसल जेस्टेशनल डायबिटीज कुछ समय के लिए होती है यानी गर्भावस्था के बाद ये अपने आप खत्म हो जाती है।